By Satish Tehlan
मेरा चिराग-ए-घर गया लील।
तुम्हारा घटिया मिड डे मील ।।
घटिया मिड डे मील, वो भूखे ही अच्छे थे ।
नहीं सालता घाव, हमारे भी बच्चे थे ।।
सड़ा हुवा अनाज, सड़ी ही प्रणाली है।
मासूमों के हाथों में, चम्मच थाली है।।
चाहते हो क्या, थमा हाथ में उनके कटोरा ।
उनको भिक्षु बना रहा, जिनका मन है कोरा।।
